✿✿✿ تولد یه بهمنی خاص دیگه (پارسا) همه باشگاه دعوتن ✿✿✿

onia$

دستیار مدیر تالار مدیریت
تبریک میگم انشالله همیشه شادو سلامت وموفق باشید
 
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muhammad-k

کاربر بیش فعال
سلام مرسی از دعوتتون نغمه خانم.داداش پارسا از صمیم قلب تبریک میگم امیدوارم همیشه خوش و خرم و زنده باشی............
 
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A.8

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کاربر ممتاز
نغمه عزیز از دعوتت سپاسگذارم....
آقا پارسا سالروز تولدتو تبریک میگم...و ی تبریک ویژه بخاطر داشتن گل دختری مث نغمه.....
برای دوتاییتون آرزو میکنم روزی سالروز و سالگرد یکی شدنتونو جشن بگیرید...
آقا پارسا از خدا میخوام لحظه های دنجو آرومی داشته باشین تو زندگیتون...

این عکسم تقدیم به هر دوتون...
 
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wwwparvane

عضو جدید
کاربر ممتاز
اخجووووووووووووووون دوباره تولدددددددددددددددددددد....................
بهت تبریک میگم بهمن ماهی عزیز.....
بهترین هارو برات از خدا میخوام....
 
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wwwparvane

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کاربر ممتاز

برایت رویاهایی آرزو میکنم تمام نشدنی
و آرزوهایی پرشور
که از میانشان چندتایی برآورده شود.
برایت آرزو میکنم که دوست داشته باشی
آنچه را که باید دوست بداری
و فراموش کنی
آنچه را که باید فراموش کنی.
برایت شوق آرزو میکنم.
آرامش آرزو میکنم.
برایت آرزو میکنم که با آواز پرندگان بیدار شوی
و با خنده ی کودکان.
برایت آرزو میکنم دوام بیاوری
در رکود، بی تفاوتی و ناپاکی روزگار
 

wwwparvane

عضو جدید
کاربر ممتاز
تبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکــــــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــتبریکـــ
 

تاریک وتنها

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کاربر ممتاز
اینم یه سری کیک دیگه به مناسبت اینکه امروز این زشت ما به دنیا می یاد

اینم یه سری کیک دیگه به مناسبت اینکه امروز این زشت ما به دنیا می یاد











 

wwwparvane

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مروز خورشید شادمانه ترین طلوعش را خواهد کرد
ودنیا رنگ دیگری خواهد گرفت،
قلبها به مناسبت آمدنت خوش آمد خواهند گفت
فرشته آسمانی سالروز زمینی شدنت مبارک....:gol:


 

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برایت رویاهایی آرزو میکنم تمام نشدنی
و آرزوهایی پرشور
که از میانشان چندتایی برآورده شود
برایت آرزو میکنم که دوست داشته باشی
آنچه را که بایددوست بداری
وفراموش کنی
آنچه را که باید فراموش کنی
برایت شوق آرزو میکنم
آرامش آرزو میکنم
برایت آرزو میکنم که با آواز پرندگان از خواب بیدارشوی
و با خنده کودکان
برایت آرزو میکنم دوام بیاوری
در رکودبی تفاوتی و ناپیداری روزگار


 

wwwparvane

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کاربر ممتاز
روزگارت بر مراد / روزهایت شاد شاد / آسمانت بی غبار
سهم چشمانت بهار / قلبت از هر غصه دور / بزم عشقت پر سرور
بخت و تقدیرت قشنگ / عمر شیرینت بلند / سرنوشتت تابناک
جسم و روحت پاک پاک
تولدت مبارک گل زیبا..
:gol:
 

wwwparvane

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[h=2][/h]
صندوقچه ی آرزوهایم را خواهم گشود تا نگویند:
از
“هیچ”
پراست كه
نام تو،
یاد تو،
افتخاریست در “دارایی قلبم”
تولدت مبارك


//_//
(='+'=)
(")(")
تعجب نکن من گربه ملوسم اومدم




 

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[h=2][/h]



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wwwparvane

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تولد تولد تولدت مبارک

تولد تولد تولدت مبارک


مبارک مبارک تولدت مبارک


بیا شمعهارو فوت کن تا صد سال زنده باشی
کا
د

 

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